नमस्कार दोस्तों, आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि, जब हम हवा में सांस ले सकते हैं और हमारे चारों तरफ हवा में ऑक्सीजन मौजूद है, तो इसी ऑक्सीजन को सिलेंडर में भरकर अस्पतालों में मरीजों को क्यों नहीं दे दिया जाता है ? दोस्तों, हमारे चारों और मौजूद ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन में क्या अंतर होता है और इसे कैसे बनाया जाता है, इसे जानते हैं।
हवा में मौजूद ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन में अंतर
दोस्तों, वैसे तो ऑक्सीजन हवा और पानी दोनो में ही मौजूद होती है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हवा में मौजूद सिर्फ 20.95 % ऑक्सीजन रहती है और 78.08 % नाइट्रोजन रहती है। इसके अलावा 1% अन्य गैस मौजूद रहती है, साथ ही में पानी में भी ऑक्सीजन होती है। पानी में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है और पानी में 10 लाख मॉलिक्यूल्स में से सिर्फ 10 मॉलिक्यूल्स ही ऑक्सीजन के होते हैं। इसी वजह से इंसान पानी में सांस नहीं ले पाता है, जबकि मछलियां आसानी से पानी में सांस ले सकती हैं।
Medical Oxygen क्या होता है ?
मेडिकल ऑक्सीजन का मतलब होता है, 98% तक शुद्ध ऑक्सीजन यानी कि जिसमे नमी, धूल या दूसरी गैस जैसी अशुद्धियां न मिली हों। दोस्तों, ऑक्सीजन कानूनी तौर पर भी बेहद जरूरी दवा है और 2015 में जारी की गयी मेडिकल गाइडलाइंस के अनुसार ऑक्सीजन को देश के सबसे जरूरी दवाओं की लिस्ट में शामिल किया गया है। साथ ही आपको बता दूं कि, WHO (World Health Organization) ने ऑक्सीजन को आवश्यक दवाओं की लिस्ट में शामिल किया है।
जैसा कि मेने आपको बताया है, हवा में मौजूद सिर्फ 20.98% ऑक्सीजन होती है और इसीलिए मेडिकल इमरजेंसी में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसी वजह से मेडिकल ऑक्सीजन को लिक्विड फॉर्म (Liquid form) में खास वैज्ञानिक तरीके से प्लांट में तैयार किया जाता है।
Medical Oxygen कैसे बनती है ?
दोस्तों, मेडिकल ऑक्सीजन को हमारे चारों तरफ मौजूद ऑक्सीजन में से और अन्य गैस को अलग करके बनाया जाता है। हमारे चारों तरफ मौजूद अन्य गैसेस जैसे- Xenon (0.0000081%), Neon (0.0018%), Hydrogen (0.00005%), Helium (0.0005%), Krypton (0.0001%), Carbon dioxide (0.038%) होती है, जिसका बॉयलिंग प्वाइंट बहुत कम लेकिन अलग-अलग होता है। ऐसे में हवा को इकठ्ठा करके जमा करते जाए, तो सारी गैस लिक्विड फॉर्म में बन जाएंगी और जिन्हे अलग-अलग करके लिक्विड फॉर्म में जमा कर लेते हैं। इस तरह से तैयार Liquid Oxygen 99.5% शुद्ध होती है।
Liquid Oxygen बनाने का प्रोसेस
इस प्रोसेस में पहले हवा को ठंडा करके उसमे नमी और फिल्टर के जरिए धूल, तेल और अन्य शुद्धि को अलग किया जाता है। दरअसल होता कुछ यूं है, कि ऑक्सीजन प्लांट में हवा में से ऑक्सीजन को अलग कर लिया जाता है। इसके लिए Air Separation तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यानी पहले हवा को कंप्रेस किया जाता है और फिर उसे फिल्टर किया जाता है, जिससे कि अशुद्धि उसमें से निकल जाए। अब इस फिल्टर की हुई हवा को ठंडा किया जाता है और फिर इस हवा को डिस्टिल्ड किया जाता है, जिससे की ऑक्सीजन को बाकी गैसेस से अलग किया जा सके और इस प्रोसेस में ऑक्सीजन लिक्विड फॉर्म में बन जाती है।
दोस्तों, ऑक्सीजन बनाने का आजकल एक और तरीका आ गया है, जो कि ऑक्सीजन बनाने की एक पोर्टेबल मशीन आती है, उसे मरीज के मुंह पर रख दिया जाता है। ये मशीन हवा में से ऑक्सीजन को अलग करके मरीज तक ऑक्सीजन पहुंचती है।
दोस्तों, जब एक स्वस्थ व्यक्ति काम कर रहा होता है, तब उसे सांस लेने के लिए हर मिनट 6 से 7 लीटर हवा की जरूरत होती है। यानी कि उसे हर रोज 11000 लीटर हवा की जरूरत होती है। और सांस के जरिए फेफड़ों में जाने वाली हवा में 20 से 21% ऑक्सीजन होती है। जबकि छोड़े जाने वाली सांस में 15% ऑक्सीजन रहती है। यानी सांस के जरिए अंदर जाने वाली हवा का 5% इस्तेमाल होता है। यही 5% ऑक्सीजन है जो carbon dioxide में बदल जाती है। इसका मतलब ये हुआ कि इंसान को 24 घंटे के अंदर 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसी तरह इंसान को मेहनत वाला काम करने पर ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।
आपको बता दें, एक स्वस्थ व्यक्ति 1 मिनट में 12 से 20 बार सांस लेता है।
अस्पतालों तक कैसे पहुंचाया जाता है ऑक्सीजन ?
आपको बता दूं कि, मैन्युफैक्चरर्स ऑक्सीजन को लिक्विड फॉर्म में बड़े-बड़े टैंकर्स में स्टोर करके रखते हैं। यहां से इसे बेहद ठंडे रहने वाली Cryogenic Tanker (क्रायोजेनिक टैंकर) से डिस्ट्रीब्यूटर तक भेजा जाता है। इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर इसका प्रेशर कम करके अलग-अलग सिलेंडर में भरते हैं। यही सिलेंडर सप्लायर्स और अस्पतालों तक पहुंचाया जाता है। इसके अलावा बड़े-बड़े हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स भी होते हैं।
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Cryogenic Tank (क्रायोजेनिक टैंक) क्या होता है
क्रायोजेनिक टैंक या क्रायोटैंक एक टैंक है जिसमे बहुत कम तापमान पर लिक्विड को स्टोर किया जा सकता है। "क्रायोटैंक" शब्द का मतलब लिक्विड ऑक्सीजन और लिक्विड हाइड्रोजन जैसे सुपर कोल्ड लिक्विड को स्टोर करने को संदर्भित करता है।
Cryogenic Tank (क्रायोजेनिक टैंक) कैसे काम करता है ?
भीतरी और बाहरी सतह के बिच का स्थान, जिसमे कई इंच की इंसुलेटेड मटेरियल होती है, जो वैक्यूम में बनी रहती है। वैक्यूम और इंसुलेटिंग मटेरियल की मदद से गर्मी भीतरी सतह तक ट्रांसफर नहीं हो पाती है और इस प्रकार लिक्विड ऑक्सीजन, लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड आर्गन टैंकर के अंदर ठंडी और सुरक्षित रहती है।
ऑक्सीजन किस तापमान पर गैस बनती है ?
-183° celcius ऑक्सीजन का बोइलिंग पॉइंट होता है, जिसमे ऑक्सीजन लिक्विड फॉर्म से गैस में बदल जाती है।
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